Onam Festival | Onam Festival Kerala History Date In Hindi | Onam Festival Quotes | Whatsapp Status | Onam Festival Photo | History Of Onam Festival
Onam Festival – ओणम हिंदुओं का त्यौहार है। जो मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है। ओणम को थिरुवोनम (Thiruvonam) नाम से भी जाना जाता है। ओणम मलयाली लोगों में एक बहुत ही प्रशिद्ध त्यौहार है। किसी राज्य विशेष के त्योहारों की बात करें, तो दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्वपूर्ण है। ओणम को मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है। जहाँ इसे बड़ी ही धूमधाम से हिन्दू धर्म के द्वारा मनाया जाता है। ओणम 10 दिन तक चलने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, ओणम चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह को सिम्हा और अवनि माह के नाम से भी जाना जाता है।
ओणम चिंगम महीने में जब थिरुवोनम नक्षत्र सबसे अच्छी स्तिथि में होता है। तब मनाया जाता है। थिरुवोनम नक्षत्र को अन्य हिंदू कैलेंडर में श्रवण के रूप में जाना जाता है। ओणम एक मलयाली त्यौहार है, जो किसानों का फेस्टिवल है। लेकिन सभी लोग ही वहां इसे मनाते है. जिसमें केरल राज्य में लोकल हॉलिडे भी होता है। यहाँ इस दौरान 4 दिन की छुट्टी रहती है। इस त्यौहार की प्रसिद्धता को देखते हुए, 1961 में इसे केरल का नेशनल फेस्टिवल घोषित कर दिया गया। भारत सरकार इस रंगबिरंगे त्यौहार को अन्तराष्ट्रीय तौर पर बढ़ावा दे रही है, जिससे ओणम त्यौहार के समय अधिक से अधिक पर्यटक केरल आ सकें। इसका असर देखा भी जा सकता है, भगवान् का देश कहा जाने केरल को देखने के लिए, ओणम के दौरान सबसे अधिक लोग जाते है।
History Of Onam Festival –
पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए। उन्होंने तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर राज किया। राक्षस योनि में पैदा होने के बावजूद भी उदार चरित्र होने के कारण उन्हें प्रजा बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे। क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था। युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने। दरअस्ल, ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है,
इसलिए वामन का रुप धारण कर भगवान विष्णु राजा महाबलि के दरबार पर पहुँचे। राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी।
यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए। उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया। विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए। राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया। यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए। भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं।
कब मनाया जाता है ओणम पर्व (Onam Festival 2022 Date)
ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है, जो ज्यादातर अगस्त-सितम्बर महीने के समय में ही आता है. दुसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इसे महीने को सिम्हा महिना भी कहते है, जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी माह कहा जाता है. जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है, उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है. थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है।
इस बार सन 2022 में ओणम 30 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक चलेगा। ओणम त्यौहार में थिरुवोनम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो 8 सितम्बर को है।
ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है (Why is Celebrated Onam Festival)
ओणम भगवान विष्णु के वामन अवतार के प्रकट होने और असुर राजा महाबली के घर आगमन पर मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर राजा महाबली ने सभी भगवानों पर विजय प्राप्त कर स्वर्ग लोक जीत लिया था। फिर सभी भगवान, भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उन से मदद मांगते हैं। भगवान विष्णु एक बौने ब्राह्मण के रूप में पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। भगवान विष्णु के इस अवतार को वामन अवतार के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु अपने वामन अवतार में महाबली के दरबार में पहुंचे। राजा महाबली असुर होते हुए भी बहुत दयालु और परोपकारी राजा था।
महाबली राजा ने भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी, पूछा कि आपको क्या चाहिये। भगवान वामन ने तीन पग जमीन मांगी। राजा बलि ने उनकी इच्छा को हाँ कर दी। फिर भगवान वामन अपने असली रूप में आ गये और एक बोने ब्राह्मण से एक विशाल रूप धारण कर दिया। भगवान विष्णु ने एक बार में ही पृथ्वी को ले लिया और दूसरी बार में स्वर्गलोक को ले लिया। अब महाबली राजा पर कुछ ना बचा था तो राजा महाबली ने भगवान को अपना पैर उसके सर पर रखने के लिये कह दिया। जिससे राजा महाबली पाताल लोक पहुंच गये।
केरल में दस दिवसीय ओणम महोत्सव –
- एथम/अथम (प्रथम दिन): इस दिन, लोग अपने दैनिक क्रिया-कलापों की तरह सबेरे जल्दी उठकर मंदिर में ईश्वर की पूजा करते हैं। सुबह के नाश्ते में लोग केला और फ्राइ किए हुए पापड़ लेते हैं। ज़्यादातर लोग पूरे ओणम इसी ब्रेकफ़ास्ट को लेते हैं, उसके बाद लोग ओणम पुष्प कालीन (पूकलम) बनाते हैं।
- चिथिरा (दूसरा दिन): दूसरा दिन भी पूजा की शुरूआत के साथ शुरू होता है। उसके बाद महिलाओं द्वारा पुष्प कालीन में नए पुष्प जोड़े जाते हैं और पुरुष उन फूलों को लेकर आते हैं।
- चोधी (तीसरा दिन): पर्व का तीसरा दिन ख़ास है, क्योंकि थिरुवोणम को बेहतर तरीक़े से मनाने के लिए लोग इस दिन ख़रीदारी करते हैं।
- विसाकम (चौथा दिन): चौथे दिन कई जगह फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। महिलाएँ इस दिन ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की चिप्स आदि तैयार करती हैं।
- अनिज़ाम (पाँचवां दिन): इस दिन का केन्द्र बिन्दु नौका दौड़ प्रतियोगिता होती है जिसे वल्लमकली भी कहते हैं।
- थ्रिकेता (छटा दिन): इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और सभी उम्र के लोग इसमें भाग लेते हैं। साथ ही लोग इस दिन अपने क़रीबियों को बधाई भी देने जाते हैं।
- मूलम (सातवां दिन): लोगों का उत्साह इस दिन अपने चर्म पर होता है। बाज़ार भी विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ सज जाते हैं। लोग आसपास घूमने के साथ-साथ व्यंजनों की कई किस्मों का स्वाद चखते हैं और महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए कई चीजें ख़रीदती हैं।
- पूरादम (आठवां दिन): इस दिन लोग मिट्टी के पिरामिड के आकार में मूर्तियाँ बनाते हैं। वे उन्हें ‘माँ’ कहते हैं और उनपर पुष्प चढ़ाते हैं।
- उथिरादम (नौवां दिन): यह दिन प्रथम ओणम के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन लोगों के लिए बेहद ही हर्षोल्लास भरा होता है, क्योंकि इस दिन लोगों को राजा महाबलि का इंतज़ार रहता है। सारी तैयारी पूरी कर ली जाती हैं और महिलाएँ विशाल पुष्प कालीन तैयार करती हैं।
- थिरुवोणम (दसवाँ दिन): इस दिन जैसे ही राजा का आगमन होता है लोग एक-दूसरे को पर्व की बधाई देने लगते हैं। बेहद ख़ूबसूरत पुष्प कालीन इस दिन बनाई जाती है। ओणम के पकवानों से थालियों को सजाया जाता है और साध्या को तैयार किया जाता है। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और जमकर आतिशबाज़ी की जाती है। इस दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है।
- ओणम फ़ेस्टिवल थिरुवोणम के बाद भी दो दिनों तक और मनाया जाता है अर्थात यह कुल 12 दिनों तक मनाया जाता है, हालाँकि ओणम में पहले के 10 दिन ही मुख्य होते हैं।
- अविट्टम (ग्यारवां दिन): यह दिन तीसरे ओणम के नाम से भी जाना जाता है। लोग अपने राजा को वापस भेजने की तैयारी करते हैं। कुछ लोग रीति-रिवाज से ओनथाप्पन मूर्ति को नदी अथवा सागर में प्रवाह करते हैं, जिसे वे अपने पुष्प कालीन के बीच इन पूरे दस दिनों तक रखते हैं। इसके बाद पुष्प कालीन को हटाकर साफ़-सफाई की जाती है, हालाँकि कुछ लोग इसे थिरुवोणम के बाद भी 28 दिनों तक अपने पास रखते हैं। इस दिन पुलीकली नृत्य भी किया जाता है।चथ्यम (बाहरवां दिन): इस दिन पूरे समारोह को एक विशाल नृत्य कार्यक्रम के साथ समाप्त किया जाता है।
ओणम और थिरुवोणम की जानकारी के साथ हम आशा करते हैं कि आप इस त्यौहार को ख़ुशियों के साथ मनाएँ।
Onam Festival Quotes –
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Onam Festival Photo
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